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    मनुष्य के जीवन को सुखमय बनाने में परिवार और समाज की महत्वपूर्ण भूमिक होती है।आपसी समझ, सहिष्णुता संबंध को सुदृढ बनाए रखने का आधार होता है।

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    मनुष्य के जीवन को सुखमय बनाने में परिवार और समाज की महत्वपूर्ण भूमिक होती है।आपसी समझ, सहिष्णुता संबंध को सुदृढ बनाए रखने का आधार होता है।
    स्वार्थ और अभिमान- दो दुर्गुण परिवार और समाज में वैमनस्य के मूल कारण हैं।ये दोनों न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रदूषित करते हैं,बल्कि घर-परिवार, समाज में भी गहरे विभाजन और द्वेष को जन्म देते हैं।स्वार्थ की भावना व्यक्ति को अपने निजी लाभ, इच्छाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए प्रेरित करती है, चाहे इसके लिए दूसरों को नुकसान ही क्यों न पहुंचाना पड़े।यह स्वार्थ कीअंधी दौड़में मतभेद, ईर्ष्या-द्वेष को जन्म देती है।जब व्यक्ति केवल अपने स्वार्थ को ही अपना लक्ष्य बना लेता है, तो वह दूसरों की भावनाओं और हितो की उपेक्षा करने लगता है।आर्थिक और सामाजिक संसाधनों पर अधिकार या नियंत्रण की लालसा स्वार्थ का ही एक रूप है जो परिवार और समाज में कलह और शत्रुता का कारण बनता है।अंहकार व्यक्ति को दूसरों से श्रेष्ठ मानने की दुर्भावना को जन्म देता है।”मैं”
    की भावन ही व्यक्ति को उदार नहीं बनने देता है।🌹🌹शुभ बुधवार 🌹🌹
    🌳🌳विजय राघव गढ़ 🌳🌳

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