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    श्रीमती अनामिका जैन ने विक्षिप्त आश्रय गृह की स्थापना कर विक्षिप्त महिलाओं को आश्रय, चिकित्सा एवं पुर्नवास प्रदान किया

    महावीर अग्रवाल
    मंदसौर 30 मई ;अभी तक ;   संजीत जिला मंदसौर की रहने वाली श्रीमती अनामिका जैन ने अनामिका विक्षिप्त आश्रय गृह की स्थापना करके कई बेसहारा महिलाओं को आश्रय प्रदान किया है। श्रीमती अनामिका जैन द्वारा अनामिका जनकल्याण सेवा समिति विक्षिप्त आश्रय गृह की स्थापना 2018 में की। इनका आश्रयग्रह 500 र्क्‍वाटर रेवास देवड़ा रोड पर स्थिति है। जिसमें विक्षिप्त महिलाओं को आश्रय, चिकित्सा एवं पुर्नवास प्रदान किया जाता है। अब तक इनके द्वारा 42 महिलाओं को पुनर्वास प्रदान किया। वर्तमान में आश्रय गृह में 25 महिला निवासरत है।
                                          मध्य प्रदेश का पहल ऐसा आश्रम है जो महिलाओं के लिए पुनर्वास का काम करता है। श्रीमती जैन ने अपने पिता के साथ सामाज सेवा का काम शुरू किया। इस कार्य में इनको पति का भी पूर्ण सहयोग मिला। इस कार्य में जुड़ने के लिए इन्होंने मास्टर ऑफ सोशल वर्क से पढ़ाई भी की। श्रीमती जैन 17-18 वर्षों से लगातार सामाजिक क्षेत्र में महिलाओं के लिए जनकल्याण के कार्य कर रही है।
                                    आश्रय गृह स्थापित करने से पहले इन्होंने 7 वर्षों से निराश्रित विक्षिप्‍त महिलाओं की देखभाल की, जिसमें महिलाओं की देख-रेख कर उन महिलाओं को इंदौर, उज्जैन अनाथ आलय में भेजती थी, लेकिन कभी-कभी वहां पर अधिक संख्या होने के कारण अनाथालय उन महिलाओं को आश्रय देने से मना कर देता था। चुकीं निराश्रित विक्षिप्‍त महिलाओं को आसरा प्रदान करना बहुत जरूरी था, इस हेतु इन्होंने प्रशासन के सहयोग से शासकीय भवन में आश्रय ग्रह स्थापित किया। जिसमें महिलाओं को पुनर्वास प्रदान कर निराश्रित महिलाओं को पुन: उनके घर पहुंचाने का काम किया।
    पुलिस विभाग द्वारा लाई गई महिलाओं को भी उनकी संस्था रखती है, उन्हें ठीक करती हैं एवं ठीक होने के बाद पुनर्वास का भी काम करती हैं। ऑनलाइन गुगल के माध्यम से उनके परिवार को ढुंढने का कार्य करती है।
    निराश्रित विक्षिप्‍त महिलओं के साथ सभी तरह के त्यौहार हंसी खुशी मनाते हैं।  उनको पूरी तरह से पारिवारिक वातावरण प्रदान किया जाता है। निराश्रित महिलाओं की याददाश्त पुनः आ सके इसके लिए खेल-खेल में अलग अलग गतिविधियां कराई जाती हैं।
    इसके साथ ही श्रीमती जैन ने सा‍माजिक कार्य अंतर्गत महिलाओं को शराब छुड़वाना, कुष्ठ एवं गाडोलिया बस्ती में स्कूल का संचालन, विधवा एवं परित्यक्ता महिलाओं को प्रशिक्षण प्रदान कर उनको आत्मनिर्भर बनाने का काम भी किया है।
        ये भविष्य में एक बड़ा पुनर्वास केंद्र स्थापित करना चाहये है, जहाँ महिलाओं को न सिर्फ चिकित्सा और आश्रय मिले, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे।
    इनको राज्य सरकार ने रानी अवंति बाई राज्य स्तरीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया। यह पुरस्कार समाज में महिला अथवा बच्चों को उत्पीडन तथा उनके पुर्नवास में योगदान देने तथा बाल विवाह प्रथा जैसी सामाजिक कुरीति को रोकने में साहसिक कार्य करने वाले को राज्य सरकार द्वारा पुरूरकार प्रतिवर्ष दिया जाता है।
    श्रीमती अनामिका जैन का कहना है कि, सभी महिलाए अपनी संवेदनशीलता और सहानुभूति को अपनी ताकत बनाएँ। समाज में बदलाव लाने की सबसे बड़ी शक्ति महिलाओं के पास है – बस जरूरत है आगे बढ़कर पहल करने की। अगर हम मिलकर एक-दूसरे का हाथ थामें और कमजोर तबकों को सहारा दें, तो संवेदनशील और समानता भरा समाज बना सकते हैं। सभी आत्मनिर्भर बनें, अन्य महिलाओं को सशक्त करें और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें।

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