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    ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के वक्त निशाने पर था उरी हाइड्रो पावर प्लांट, CISF के 19 बहादुरों ने नाकाम किया था पाकिस्तान का हमला

    ऑपरेशन सिंदूर के के शुरू होने के कुछ ही घंटों बाद पाकिस्तान ने उरी हाइड्रो पावर प्लांट पर ड्रोन और भारी गोलीबारी से हमला करने की कोशिश की थी, लेकिन CISF के 19 बहादुर जवानों ने उसे नाकाम कर दिया था। जवानों ने ड्रोन गिराए, उपकरणों की सुरक्षा की और गोलाबारी के बीच करीब 250 नागरिकों को सुरक्षित निकाल लिया।

    नई दिल्ली: भारत की ओर से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू होने के कुछ घंटों बाद ही पाकिस्तान ने LoC के पास उरी हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट को निशाना बनाने की कोशिश की थी, लेकिन CISF ने इस हमले को पूरी तरह नाकाम कर दिया था। मंगलवार को CISF ने इस बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा कि हमले के दौरान हो रही भारी गोलीबारी के बावजूद दुश्मन के ड्रोन नष्ट कर दिए गए थे। बता दें कि उरी हाइड्रो पावर प्लांट जम्मू-कश्मीर में LoC से सिर्फ कुछ किलोमीटर दूर है। CISF ने मंगलवार को संघर्ष के दौरान असाधारण बहादुरी दिखाने के लिए अपने 19 जवानों को डायरेक्टर जनरल की डिस्क से सम्मानित किया।

    रिहायशी इलाकों को भी हो गया था खतरा

    बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेना द्वारा 6-7 मई की रात को चलाया गया था। इसमें लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) के पार आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया गया था। पाकिस्तानी सेना की जवाबी गोलीबारी से LoC के पास महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और रिहायशी इलाकों को खतरा हो गया। इससे NHPC द्वारा चलाए जा रहे उरी हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स पर बड़ा खतरा मंडरा रहा था। CISF ने बताया कि उनकी यूनिट्स LoC से सिर्फ 8 से 10 किलोमीटर दूर थीं, इसलिए वे इस अचानक बढ़ी टेंशन के बीच सबसे आगे थीं। दुश्मन की भारी फायरिंग के बीच अपनी जान को खतरे में डालकर भी इन जवानों ने बहादुरी, शांति और प्रोफेशनलिज्म दिखाई।

    ‘लोगों को बचाने के लिए तुरंत कदम उठाए’
    कमांडेंट रवि यादव की अगुवाई में, डिप्टी कमांडेंट मनोहर सिंह और असिस्टेंट कमांडेंट सुभाष कुमार की मदद से टीमों ने इंस्टॉलेशन्स और आसपास के रिहायशी इलाकों को बचाने के लिए तुरंत कदम उठाए। सम्मानित जवानों की लिस्ट में यूएचईपी उरी-आई और उरी-आईआई से शामिल हैं। इनमें कमांडेंट रवि यादव (यूएचईपी उरी-आई), मनोहर सिंह और सुभाष कुमार (यूएचईपी उरी-आईआई) शामिल हैं। कांस्टेबल्स में सुशील वसंत कांबले, रजिक अहमद अब्दुल रफीक, वानखेड़े रविंद्र गुलाब और त्रिदेव चकमा (सभी यूएचईपी उरी-आई से) हैं। इंस्पेक्टर दीपक कुमार झा और हेड कांस्टेबल गुरजीत सिंह भी टीम में हैं, साथ ही कांस्टेबल सोहन लाल, मुफीद अहमद और महेश कुमार को भी सम्मानित किया गया है।

    जवानों ने घर-घर जाकर लोगों को निकाला’
    हेड कांस्टेबल मनोज कुमार शर्मा और राम लाल (यूएचईपी उरी-आई से) भी 19 बहादुरों की इस टीम में शामिल हैं। यूएचईपी उरी-आईआई से सब-इंस्पेक्टर अनिल कुमार और दीपक कुमार, असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर राजीव कुमार और सुखदेव सिंह, और कांस्टेबल संदेनाबोइना राजू भी इस लिस्ट में हैं। CISF ने कहा, ‘इन्होंने आने वाली गोलीबारी की ट्रैजेक्टरी का रियल-टाइम एनालिसिस किया, सुरक्षित जोन पहचाने और लोगों को बंकर शेल्टर्स में ले जाने का इंतजाम किया। जैसे ही गोले रिहायशी इलाकों के पास गिरे, CISF के जवानों ने घर-घर जाकर नागरिकों को निकाला जिनमें महिलाएं, बच्चे, एनएचपीसी स्टाफ और उनके परिजन शामिल थे, और यह सब गोलीबारी के बीच हुआ। उनकी तेज और निडर कार्रवाई से करीब 250 नागरिकों की सुरक्षित निकासी हुई और किसी की जान नहीं
    गई।’

    ”जवानों ने दुश्मन ड्रोन्स को निष्क्रिय किया
    बयान में कहा गया कि बेहद खतरनाक हालात के बावजूद जवानों ने प्रतिष्ठानों पर हमला करने वाले दुश्मन ड्रोन्स को निष्क्रिय किया और हथियारों के स्टॉक को सुरक्षित जगहों पर ले जाकर नष्ट होने से बचाया। बता दें कि CISF की स्थापना 10 मार्च 1969 को हुई थी। यह मुख्य रूप से महत्वपूर्ण औद्योगिक और इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टॉलेशन्स की सुरक्षा करती है, साथ ही दिल्ली मेट्रो, एयरपोर्ट्स, ताज महल और लाल किला जैसे प्रतिष्ठित स्मारकों, संवेदनशील सरकारी इमारतों, एटॉमिक पावर प्लांट्स, स्पेस एस्टेब्लिशमेंट्स, डिफेंस प्रोडक्शन यूनिट्स, ऑयल रिफाइनरीज और गैस इंस्टॉलेशन्स, पोर्ट्स और बड़े शिपयार्ड्स, और पावर प्लांट्स की सुरक्षा करती है।

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