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    जिला शासकीय चिकित्सालय में प्रसव कराये जाने हेतु भर्ती होने वाली महिलाओ को निजी अस्पतालो अथवा नर्सिंग होम में भेजे जाने का गोरखधंधा

    आनंद ताम्रकार

    बालाघाट २ मई ;अभी तक ;  जिला शासकीय चिकित्सालय में प्रसव कराये जाने हेतु भर्ती होने वाली महिलाएं बिना प्रसुति करवाये अस्पताल से वापस लौट रही है अपितु उनका प्रसव निजी अस्पतालो अथवा नर्सिंग होम में किया जा रहा है।
    ऐसा गोरखधंधा आशा कार्यकर्ता और स्टाफ तथा डॉक्टरों की मिली भगत से चलाया जा रहा है इसकी उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिये।

    यह उल्लेखनीय है की बालाघाट जिले में जनसंख्या एवं मतदाताओं की संख्या के मान से अनुपातिक तौर पर महिलाओं की संख्या पुरूषों की अपेक्षा अधिक है लेकिन महिला सशक्तिकरण एवं बेहतर इलाज करने का दावा करने वाली सरकारी योजना को पलीता लगाने जैसा प्रकरण प्रकाश में आया है।

    नवपदस्थ मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर परेश उपलव द्वारा पदभार ग्रहण करने पश्चात ट्रामा सेंटर का निरीक्षण करने के दौरान यह गडबडी प्रकाश में आई जिसमें विगत मार्च माह में भर्ती हुई महिलाओं में से 199 महिलाएं बिना प्रसूति करवाये ही ट्रामा सेंटर से अन्यत्र वापस चली गई आखिर क्यों?

    इन्हीं विसंगतियों के चलते अप्रैल 2024 से जनवरी 2025 तक हुई प्रविष्टि के आंकड़ों पर गौर किया जाये तो इन 10 महीनों के अंतराल में ट्रामा सेंटर में 8351 महिलाएं प्रसुति के लिये भर्ती हुई थी इनमें से 2590 महिलाओं का सामान्य प्रसव हुआ तथा 3517 महिलाओं का ऑपरेशन के जरिये प्रसव कराया गया इनमें से 1230 प्रसुताओं ने प्रसव पश्चात परिवार नियोजन के लिये टीटी ऑपरेशन करवाया। लेकिन 2244 महिला जो प्रसव कराने  के लिये भर्ती हुई थी उनका प्रसव ही नहीं कराया गया वे प्रसव कराने के लिये निजी अस्पतालों तथा नर्सिंग होम में चली गई। यह सब मिलीभगत और सेंटिक से हुआ है। स्वास्थ्य विभाग ने इस गडबडी में शामिल लोगों पर बड़ी कार्यवाही के संकेत दिये है।

    यह उल्लेखनीय है की कलेक्टर मृणाल मीणा द्वारा सतत और औचक निरीक्षण करने के कारण जिला अस्पताल में मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं में अपेक्षित सुधार हुआ है।

    इसके बावजूद बड़ी संख्या में प्रसुति करवाये बिना प्रसुताओं का ट्रामा सेंटर से वापस चले जाने के पीछे यह भी बताया जा रहा है की मरीजों को समय पर उपचार ना मिलना डाक्टरों का डयूटी पर उपस्थित ना होना स्टाफ की कमी तथा डयूटीरत स्टाफ के द्वारा मरीजों के साथ अभ्रदता किया जाना भी इस विसंगति का प्रमुख कारण भी है।

    यह भी बताया जा रहा है की आशा कार्यकर्ताओं से निजी नर्सिंग होम के संचालक के साथ सेटिंग होना भी एक प्रमुख कारण है।

    इन्ही दुर्व्यवस्था के चलते ऐसे अनेक प्रकरण पूर्व में प्रकाश में आ चुके है लेकिन कार्यवाही ना होने से कोई अंकूश लग पाया।

    यह भी जानकारी मिली है की आशा कार्यकर्ताओं द्वारा प्रसुताओं को डरा धमकाकर निजी नर्सिंग होम में जाने के लिए दबाव बनाया जाता है। अनेक मामले ऐसे भी प्रकाश में आये है की निजी नर्सिंग होम में डिलेवरी करवाने वाली महिलाओं को गंभीर अवस्था में पूनः ट्रामा सेंटर में वापस भर्ती होना पड़ा।
    21दिसंबर 2024 को एक प्रसुता को लेकर उसके परिजन ग्राम रामपायली से ट्रामा सेंटर पहुंचे लेकिन वार्ड बाय ना होने से परिजनों को एकहाथ से सेलाइन की बोतल और दुसरे हाथ से स्टेचर खिचते हुये अस्पताल पहुंचे।
    एनक्यूएएस नेशनल एसेसमेंट के तहत जिला अस्पताल की व्यवस्थाओं तथा इलाज की सुविधाओं का निरीक्षण करने एक जांच दल आया था जिसमें बंगाल,दिल्ली तथा महाराष्ट्र से आये स्वास्थ्य अधिकारी शामिल थे। जांच दल में शामिल डॉक्टर गोपाल शंकरलाल कदम ने ट्रामा सेंटर में भर्ती प्रसुताओं और उनके परिजनों से चर्चा की जांच में पहले दिन ही उन्हें अस्पताल के एसी वाटर कूलर बंद दिखाई दिये।
    गत 19 अप्रैल 2025 को सीएमएचओ द्वारा किये गये निरीक्षण के दौरान प्रसुताओं के भर्ती होने पश्चात बिना प्रसूति करवाये अन्यत्र चले जाने का मामला प्रकाश में आ गया था। सीएमएचओ को दस्तावेजों के निरीक्षण से पता चला की मार्च माह में 190 प्रसुताओं को बिना प्रसव कराये अन्यत्र वापस चली गई।
    निरीक्षण के दौरान उन्होंने पाया था की विगत माह मार्च 2025 में 7353 महिलाएं प्रसुति के लिये भर्ती हुई है जिसमें से 563 महिलाओं का प्रसव कराया गया 190 महिलाएं बिना प्रसुति कराये चली गई।
    इस संबंध में सिविल सर्जन डॉक्टर निलय जैन चर्चा के दौरान बताया की मीडिया के माध्यम से उन्हें इसकी जानकारी मिली है इस मामले में विस्तृत जांच के पश्चात ही वास्तविकता का पता चला पायेगा की इसके लिये कौन कौन दोषी है।

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